mahakumbh news live24: नागा साधुओं की भावुक अपील, पीड़ितों के लिए free मदद की मांग

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mahakumbh news: महाकुंभ भगदड़: नागा साधुओं की भावुक अपील, पीड़ितों के लिए की सरकार से मदद की मांग

प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ की दुखद घटना के बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान का कार्यक्रम रद्द कर दिया है। हालांकि, नागा संत पूरी तरह से तैयार थे और शाही जुलूस के साथ स्नान के लिए आगे बढ़ने ही वाले थे कि तभी उन्हें इस घटना की जानकारी मिली।

mahakumbh news: नागा साधुओं की भावनात्मक प्रतिक्रिया

mahakumbh news: नागा संन्यासियों के जूना अखाड़े में भारी शोक का माहौल देखा गया। शरीर पर भभूत और गले में रुद्राक्ष की माला धारण किए ये संत अमृत स्नान के लिए पूरी तरह तैयार थे, लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने स्नान स्थगित कर दिया।

महाराज जी ने कहा,

“हमारा अमृत स्नान तो फिर हो जाएगा, लेकिन पब्लिक की सुरक्षा सबसे पहले है। यह घटना बेहद दुखद है, और हम भगवान दत्तात्रेय से प्रार्थना करते हैं कि अगली बार ऐसा कोई हादसा न हो और प्रशासन मजबूत व्यवस्थाएँ करे।”

mahakumbh news: भगदड़ के बाद लिया गया अहम फैसला

घटना की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ संतों ने निर्णय लिया कि आज का अमृत स्नान नहीं होगा। कई नागा संन्यासी अपनी छावनी से बाहर निकल चुके थे, लेकिन घटना की जानकारी मिलते ही वे वापस लौट आए। इस दौरान उन्होंने पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवारों के प्रति संवेदना जताई।

mahakumbh news: सरकार से मदद की अपील

mahakumbh news: नागा संतों ने सरकार से मांग की कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए और घायल श्रद्धालुओं के इलाज के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि हादसे में मारे गए लोगों के बच्चों की शिक्षा निशुल्क कर दी जाए और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

mahakumbh news: अमृत स्नान स्थगित, लेकिन मानव सेवा सर्वोपरि

नागा संन्यासियों का कहना है कि धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए मानवता सबसे ऊपर है। एक संत ने कहा,

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“हमारा स्नान कभी भी हो सकता है, लेकिन पहले पीड़ितों की मदद होनी चाहिए। भोलेनाथ से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्माओं को शांति मिले और उनके परिवारों को संबल मिले।”

mahakumbh news: महाकुंभ में हुई भगदड़ एक दर्दनाक घटना है, जिसने सभी को झकझोर कर रख दिया है। नागा संतों का यह त्याग और संवेदनशीलता एक मिसाल है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा ही सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। सरकार को भी इस मामले में त्वरित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।

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